कनॉट प्लेस में खुला पहला Beer ATM

दिल्ली का कनॉट प्लेस एम ब्लॉक में ताजी बीयर का पहला ATM


दिल्ली का कनॉट प्लेस घूमने के लिए दिल्ली वासियों के लिए सबसे बेहतर जगहों में से एक है। ये जगह खान-पीने से लेकर क्लब अलग-अलग तरह के रेस्तरां और साथ ही बीयर बार के लिए जाना जाता है। लेकिन अब हम आपको कनॉट प्लेस की एक और खास बात बताने जा रहे हैं जिसको जानने के बाद आप खुद को यहां पर जाने से रोक नहीं पाएंगे।



तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कनॉट प्लेस की एक और खास बात, जिसे जानकर बार-बार जाना चाहोगे। कनॉट प्लेस के आउटर सर्कल में अग्निशमन विभाग के कार्यालय के सामने की तरफ एम ब्लॉक में ताजी बीयर का पहला एटीम (माइक्रोब्रुअरी) खुल गया है। इस बीयर बार एटीएम में ताजी बीयर मिलती है। आबकारी नियमों के मुताबिक, इसका खुलने का समय दोपहर एक बजे से रात एक बजे तक है।


आपको बता दें कि इस एटीएम बीयर बार में कई तरह के फ्लेवर की बीयर मिलती है। सबसे खास बातो तो ये है कि यहा मिलने वाली सभी बीयर गेहूं और जौ से बनाई जाती है। इन बीयर में किसी भी तरह का रसायन का इस्तेमाल किया जाता। खबरों के मुताबिक, 2017 में दिल्ली सरकार ने इस योजना को मंजूरी दी थी।



मगर योजना इसलिए उलझ गई कि मास्टर प्लान 2021 में इस तरह के बीयर ब्रुअरी (ताजी बीयर बनाने की जगह) लगाने का कोई प्रावधान नहीं था। डीडीए बोर्ड ने मास्टर प्लान में बदलाव कर सितंबर 2018 में इसके लिए अनुमति दी। इसी प्रक्रिया के तहत करीब ढाई महीने पहले पहला लाइसेंस कनाट प्लेस के लिए मिला है।


ताजी बीयर के लिए जो योजना बनाई गई है उसके अनुसार होटल, रेस्तरां और क्लब में तकरीबन 500 लीटर क्षमता वाले माइक्रो ब्रुअरी के साथ वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा। बताया जा रहा है कि इस योजना को लागू करने के लिए 2010 से कोशिश की जा रही थी।



लेकिन, जमीन को लेकर सख्त प्रावधान इसके आड़े आ रहे थे। डीडीए के पास भू उपयोग बदलाव के लिए यह मसौदा भेजा गया था। दिल्ली सरकार ने गुरुग्राम व बेंगलुरु की तर्ज पर यह योजना तैयार की है। इस प्रावधान की मंजूरी मिलने के बाद आबकारी विभाग के तय नियमों के मुताबिक माइक्रो ब्रुअरीज खोली जा सकेंगी।


इसे खोलने के लिए आबकारी विभाग के पास तीन अन्य लोगों ने भी आवेदन किया है। जिसके लिए प्रक्रिया चल रही है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इसका लाइसेंस उन्हें ही मिलेगा। जिनके पास 650 वर्ग फीट भूतल पर जगह होगी। इसके अलावा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण (डीपीसीसी) कमेटी से स्वीकृति लेनी अनिवार्य है।